
मध्य पूर्व में तनाव फिर अपने चरम पर है। इस बार चर्चा में हैं ईरान के टॉप जनरल अली शादमानी, जिन्हें इसराइल डिफेंस फोर्स (IDF) ने तेहरान में एक सटीक हवाई हमले में मार गिराने का दावा किया है। IDF के मुताबिक शादमानी, ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई के सबसे भरोसेमंद सैन्य सलाहकार थे।
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पांच दिन में दूसरा बड़ा दावा: “जनरल आउट, पर न्यूक्लियर इरादे ज़िंदा?”
इसराइली सेना ने अपने ‘X’ पोस्ट में कहा:
“पांच दिनों में दूसरी बार – IDF ने ईरान के शीर्ष सैन्य अधिकारी को खत्म किया है।”
इसके साथ ही उन्होंने जोड़ा कि अली शादमानी की मौत मध्य तेहरान में हुई — और यह हमला सटीक खुफिया जानकारी पर आधारित था।
एयरस्ट्राइक के पीछे वजह: ‘परमाणु प्रोग्राम’ या पुराने हिसाब?
13 जून को इसराइल ने ईरान के कथित परमाणु कार्यक्रम से जुड़े ठिकानों पर हमला किया था। इसके बाद दोनों देशों के बीच लगातार पाँच दिन से सैन्य तनातनी चल रही है। इस दावे से यह लड़ाई अब और तेज होती दिख रही है।
राजनयिक चुप्पी और रणनीतिक गर्मी
जहां एक ओर तेहरान में तनाव का पारा चढ़ा है, वहीं वॉशिंगटन, मॉस्को और बीजिंग में डिप्लोमैटिक एसी चालू हैं। अब देखना ये है कि अली शादमानी की कथित मौत से ईरान की प्रतिक्रिया क्या होती है — चुप्पी, चेतावनी या प्रतिकार?
इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि मध्य पूर्व के हालात नाजुक मोड़ पर हैं। हालांकि बयानबाज़ी और दावे, दोनों पक्षों से तेज़ हैं — लेकिन युद्ध में कभी सच्चाई गोलियों से ज़्यादा तेज नहीं चलती।
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